अणोरणीयान …पुरानी बातें याद करने की साधना
इस साधनाको यह नाम क्यों दिया गया? इस शब्दका अर्थ क्या है? यह आपके इस मित्रको (मुझे) बिलकुल नही मालूम। सिर्फ एक सरल व आसान साधना ; मेरे माध्यमसे आपके समक्ष प्रस्तुत हो रही है।
आप कहीपर भी गये; तो पेड होतेही है।किसी दूरस्थ पेडकी ; उंचाईपरकी टहनी पर; याने टहनी के अग्र या उसके किसी बिंदूपर त्राटक करना शुरु करे। त्राटक याने स्थिरतासे देखते रहना।ध्यान रहे कि; (किसी भी प्रकारके त्राटक में) ; आंखोंकी पुतलीया स्थिर हो।कुछही समय बाद; आपको यू लगेगा कि; आप किसी प्रचंड Cavity में खडे या बैठे हुए है।यदी आंखोंमे तनाव (Strain) ; आए तो; कुछ समय आंखें बंद कर; हलकासा मालिश करे।फिरसे त्राटक शुरु करे। ५ या १५ मिनिट्स काफी है। जपादि कुछ भी नही करना है। बस्स । यही साधना है।कुछही दिनो बाद देखेंगे कि ; बहुतसी पूर्वकालीन बाते/घटनाए ; आपको स्मरण हो रही है।यह साधना मैने दो माह की थी। आज अवस्था यह है कि ; उमरके ४ थे — ५ वे सालकी बाते व घटनाए ; आज भी मुझे याद है।
गुरुदेवने बताया था कि ; पूर्व-जन्म भी देखा जा सकता है। इसमे रुचि ना होनेके कारण ; मैने यह साधना आगे नही की। कुछही अनुभवोके बाद बंद की थी। अस्तु। ऐसीही और ज्ञानमार्गीय साधनाए ग्रुप में ; सिद्धांतजीके आशिर्वादसे ; मेरे माध्यमसे प्रस्तुत होती रहेगी । इति आदेश ।
ज्ञानेन्द्रनाथ