छत्तीसगढ़ का डॉ.सी.वी.रामन विश्वविद्यालय बना फर्जी डिग्री बेचने का अड्डा
बिलासपुर – सीवी रमन यूनिवर्सिटी में एफआईआर भले ही कुछ समय पहले लिखी गई है, लेकिन यूनिवर्सिटी में चल रहे गोरखधंधे का खुलासा दो साल पहले ही गुजरात की सरकार ने कर दिया था । गुजरात के उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव पंकज जोशी ने राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव बीएल अग्रवाल को दस मई 2016 को पत्र लिखकर सीवी रमन यूनिविर्सटी में चल रहे घपले का खुलासा किया था । गुजरात सरकार ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर जांच कराने के बाद जो तथ्य सामने आए थे, उसके आधार पर छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग को सीवी रमन यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था ।
इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की । ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन अफसरों और जिम्मेदारों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बता दें कि बिलासपुर पुलिस ने उच्च शिक्षा विभाग के जानकारों से रायशुमारी करने के बाद कुलपति संतोष चौबे, तत्कालीन कुलसचिव शैलेष पांडेय, कुलसचिव गौरव शुक्ला और उप कुलसचिव नीरज कश्यप के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया है । जब बिलासपुर पुलिस ने जांच कर सीवी रमन यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ी को पकड़ लिया, फिर उच्च शिक्षा विभाग क्यों आंख मूंदकर बैठा था?
एजुकेशनल सिस्टम को ध्वस्त करने की साजिश
सीवी रमन यूनिवर्सिटी में एफआईआर के बाद जो खुलासे हो रहे हैं, उससे यह कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में एजुकेशनल सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए बड़ी साजिश के तहत काम चल रहा था. इसमें उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों से लेकर पूरा गिरोह काम करने की आशंका है ।
सीवी रमन विश्वविद्यालय ने यूजीसी और निजी विश्वविद्यालय स्थापना के नियम-कानूनों को ताक पर रखकर फर्जी डिग्रियां बांटी. 2008 में सीवी रमन यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद से फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा शुरू हुआ, जो अब तक बदस्तूर जारी है। सीवी रमन यूनिवर्सिटी में बैठे जिम्मेदारों ने किस तरह नियम-कानून और राजपत्र का उल्लंघन किया, उसके कुछ उदाहरण हम सिलसिलेवार बताएंगे । यहां पढ़ें किस तरह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों को ताक पर रखकर मार्कशीट की छपाई शुरू की गई।
विगत पांच साल से मार्कशीट फर्जी !
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पत्र क्रमांक 1317- 1321 यूजीसी/DEB/CHH/सीवी रमन 2013 दिनांक 27 अगस्त 2013 में सीवी रमन विश्वविद्यालय को दूरवर्ती शिक्षा के तहत 2013-14, 2014-15 के लिए 31 पाठ्यक्रम की मान्यता दी गई व 16 पाठ्यक्रम की मान्यता नहीं दी गई है, जिसमें एमएससी केमिस्ट्री भी शामिल है. यानी एमएससी केमिस्ट्री पाठ्यक्रम की मान्यता सीवी रमन विश्वविद्यालय कोटा बिलासपुर को नहीं है। इसके बाद भी बिना मान्यता के एमएससी केमिस्ट्री की मार्कशीट बांटी गई।
2008 जून में सीवी रमन विश्वविद्यालय, कोटा बिलासपुर को मान्यता मिली है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार मान्यता के 5 वर्ष बाद ही दूरवर्ती पाठ्यक्रम शुरू किया जा सकता है.इस लिहाज से सीवी रमन विश्वविद्यालय में 2013 से दूरवर्ती पाठ्यक्रम शुरू होने थे, लेकिन विश्वविद्यालय ने 2008 से ही दूरवर्ती पाठ्यक्रम शुरू कर मार्कशीट देने का खेल शुरू कर दिया. इस तरह 2008 से 2013 के बीच सीवी रमन विश्चविद्यालय द्वारा दूरवर्ती पाठ्यक्रम के तहत बांटी गई सारी मार्कशीट फर्जी है।
निजी विश्वविद्यालय डॉ.सी.वी.रामन विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा से संबंधित विभिन्न विषयो PGDCA, DCA, B.A. ,B.C.A., B.Com. , B.Sc. , M.Sc, M.A. , M.Com, MCA, MBA,M.Sc IT, Law, B.E. BEDइत्यादि कोर्स नियमित एंव दुरस्थ शिक्षा के माध्यम से संचालित है एवं विश्वविद्यालय द्वारा अपने सोशायटी AISECT जिस प्रकार अधारित है उसे प्रावेट कम्प्युटर सेंटर के रूप में छोटे छोट ब्रांच छ.ग.राज्य तथा भारत देश के अन्य राज्यो में हजारो की संख्या में खोले गये है जिसके लिए भारी फिस भी संस्थान द्वारा ली जाती है UGC ने सूचना के अधिकार अनुसार जानकारी उपलब्ध कराई जिस पर स्पष्ट उल्लेख है कि UGC रेगुलेशन 2003 के प्रावधान अनुसार कोई भी निजी विश्वविद्यलाय अपने राज्य की परीसिमा से बाहर स्टडी सेंटर कैंप सेंटर चलाने की अनुमति प्रदान नही की गई है UGC रेगुलेशन के प्रावधन अनुसार ऐसे विश्वविद्यालय अपने राज्य में भी UGC की अनुमति के बिना कोई सेंटर नही चला सकता है इसी तारत्मय में UGC ने स्पष्ट किया है कि डा.सी.वी रामन विश्वविद्यालय को इस तरह की दुरस्थ शिक्षा संचालित करने की कोई अनुमति प्रदान नही की गई है इस प्रकार आवेदन पत्र के साथ प्रपत्रो के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि निजी विश्वविद्यालय ड.सी.वी.रामन के कुलाधिपति संतोष चौबे , तत्कालित कुल सचिव शैलेष पाण्डेय , वर्तमान कुल सचिव गौरव शुक्ला तथा उप कुल सचिव निरज कश्यप के द्वारा भ्रष्ट एंव अवैध साधनो से अपने लिए एंव अपने हितबद्ध व्यक्तियो के लिए भ्रष्टाचार कर भारी मात्रा में धन अर्जित कर विधिविरूद्ध तरिके से लाभ अर्जित किया गया है जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(I),(D) एंव 13(II) का अपराध घटित होना पाया गया जिसमे अपराध धारा सदर का अपराध पंजीबद्ध किया गया
सुन्दर कुमार ( प्रधान सम्पादक )