जानिये द्वारकाधीश मंदिर द्वारका….. गुजरात को
गुजरात का द्वारका शहर वह स्थान है जहाँ 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी। जिस स्थान पर उनका निजी महल ‘हरि गृह’ था वहाँ आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है। इसलिए कृष्ण भक्तों की दृष्टि में यह एक महान तीर्थ है। वैसे भी द्वारका नगरी आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के चार धामों में से एक है। यही नहीं द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। मान्यता है कि इस स्थान पर मूल मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था। कालांतर में मंदिर का विस्तार एवं जीर्णोद्धार होता रहा। मंदिर को वर्तमान स्वरूप 16वीं शताब्दी में प्राप्त हुआ था।
यह मंदिर एक परकोटे से घिरा है जिसमें चारों ओर एक द्वार है। इनमें उत्तर में स्थित मोक्ष द्वार तथा दक्षिण में स्थित स्वर्ग द्वार प्रमुख हैं। सात मंज़िले मंदिर का शिखर 235 मीटर ऊँचा है। इसकी निर्माण शैली बड़ी आकर्षक है। शिखर पर क़रीब 84 फुट लम्बी बहुरंगी धर्मध्वजा फहराती रहती है।
द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान कृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुजी प्रतिमा विराजमान है। यहाँ इन्हें ‘रणछोड़ जी’ भी कहा जाता है। भगवान ने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारणकिए हैं। बहुमूल्य अलंकरणों तथा सुंदर वेशभूषा से सजी प्रतिमा हर किसी का मन मोह लेती है। द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है। उससे कुछ ही दूरी पर अरब सागर है जहाँ समुद्रनारायण मंदिर स्थित है। इसके समीप ही पंचतीर्थ है। वहाँ पाँच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा है। बहुत से भक्त गोमती में स्नान करके मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं। यहाँ से 56 सीढ़ियाँ चढ़ कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर के पूर्व दिशा में शंकराचार्य द्वार स्थापित शारदा पीठ स्थित है।
द्वारका अहमदाबाद से लगभग 380 मिलोमीटर दूर है
द्वारका शहर को संस्कृत में द्वारावती कहा जाता है तथा यह भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक है। यह शहर भगवान कृष्ण का घर था। हमारे धर्म ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि केवल यही एक ऐसा स्थान है जो चार धाम (चार प्रमुख पवित्र स्थान) तथा सप्त पुरी (सात पवित्र शहर) के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक संबंधभगवान कृष्ण ने मथुरा के राजा और अपने मामा कंस का वध कर दिया जो कंस एक दमनकारी शासक था। इसके कारण यादवों और कंस के ससुर जरासंध के बीच हमेशा के लिए दुश्मनी हो गई। कंस की मृत्यु का बदला लेने के लिए जरासंध ने यादवों पर सत्रह बार हमला किया अत: आगे के संघर्ष से बचने के लिए भगवान कृष्ण अपने यादवों के समुदाय को गुजरात या सौराष्ट्र में स्थित गिरनार पर्वत पर ले गए।
युद्ध को छोड़ने के कारण भगवान कृष्ण को प्यार से रंछोदरै (वह व्यक्ति जो युद्ध भूमि को छोड़ देता है) भी कहा जाता है। उन्होंने मथुरा को छोड़ दिया और ओखा बंदरगाह के पास स्थित बेट द्वारका में अपने राज्य की स्थापना करने के लिए द्वारका आ गए। यहाँ उन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय बिताया।
कृष्ण की मृत्यु के बाद एक बड़ी बाढ़ आई जिसमें पूरा शहर डूब गया। ऐसा विश्वास है कि द्वारका छह बार पानी में डूब चुकी है। अत: आज जो द्वारका है वह इस क्षेत्र में बना हुआ सातवाँ शहर है।
पवित्र शहर
शब्द द्वारका “द्वार” शब्द से निकला है जिसका संस्कृत में अर्थ होता है दरवाज़ा तथा इस शब्द का महत्व ब्रह्मा के लिए दरवाज़े से है। वैष्णवों के लिए इस शहर का बहुत अधिक महत्व है। जगतमंदिर मंदिर में द्वारकाधीश की मूर्ति है जो भगवान कृष्ण का एक रूप हैं। शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका के पास स्थित है।
बेट द्वारका
ऐसा माना जाता है कि बेट द्वारका वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया था। कच्छ की खाड़ी में स्थित यह एक छोटा आइलैंड है। ओखा के बंदरगाह के रूप में विकसित होने से पहले यह आइलैंड इस क्षेत्र का प्रमुख बंदरगाह था। द्वारका से यहाँ आने के लिए आपको ओखा पोर्ट जेट्टी जाना पड़ेगा और वहां से आप नौका द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
इस आइलैंड में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के ऐतिहासिक अवशेष देखे जा सकते हैं। बेट द्वारका वह स्थान है जहाँ भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक राक्षस का वध किया था अत: यह आइलैंड बेट शंखोधरा के नाम से भी जाना जाता है। बेट द्वारका में आप डॉल्फिन देख सकते हैं, पिकनिक या कैम्पिंग का आनंद उठा सकते हैं तथा समुद्री यात्रा का आनंद भी उठा सकते हैं।
भौगोलिक स्थिति
द्वारका शहर गुजरात के जामनगर जिले में स्थित है। द्वारका गुजरात पेनिनसुला (प्रायद्वीप) का पश्चिमी छोर है।
द्वारका तथा इसके आसपास पर्यटन के स्थान
द्वारका तथा बेट द्वारका में तथा इसके आसपास अनेक पवित्र मंदिर हैं जो प्रतिवर्ष पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, मीराबाई का मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर, हनुमान मंदिर और बेट द्वारका में कचोरियु द्वारका के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान हैं। अपनी धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण द्वारका गुजरात का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल हमेशा से था और रहेगा।
द्वारका की सैर के लिए उत्तम समय
द्वारका का मौसम लगभग पूरे वर्ष खुशनुमा रहता है।
द्वारका कैसे पहुंचे
वे पर्यटक जो द्वारका की सैर करने की योजना बना रहे हैं वे हवाई मार्ग, रेलमार्ग या सड़क रास्ते द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं..
चेतना त्यागी ( सदस्य सम्पादक मण्डल )