जानिये महाविद्या भुवनेश्वरी को
सूर्य उत्तपन्न (प्रकट)होने के बाद,परमेष्ठ्य सोम की आहुति से यज्ञ ओर उसी से त्रैलोक्य की निर्मिति हो गयी,विश्व उत्पत्ति के क्रम में षोडशी की सत्ता थी,अब भुवनों की उत्पत्ती कर के उसका नियोजनपूर्वक संचालन करनेवाली शक्ति आविर्भूत हो गयी,वो ही त्र्यम्बक शिव की शक्ति *भुवनेश्वरि* हैं, यही चौथी श्रुष्टिधारा अथवा चौथी महाविद्या है……………
अखिलेश्वरनन्दनाथ भैरव(ज्ञानेंद्रनाथ)