जानिये महाविद्या षोडशी को
सूर्य प्रकट होने के बाद परमेष्ट्य सोम की आहुति होने के बाद उग्रता दूर हो गयी,तब रुद्रसूर्य “शिव” बन गए,ऐसे शिवात्मक सूर्य ही पृथ्वी, अंतरिक्ष,द्यो-रूपी,त्रिलोक ओर उसमे रहने वाले जीव (प्रजा) निर्माण करते है,प्रातः समय का शांत सूर्य याने शिव ……..
और उसकी शक्ति याने “शिवा”!!!!!!!!!!!!!!!
जिस प्रकार रुद्ररूपी सूर्य की शक्ति तारा ,उसी प्रकार शिवरूपी शक्ति याने षोडशी……..
अभी तक के विवेचनाओं से यह स्पष्ट हो गया है के,शक्ति और कार्य का स्वरूप ओर प्रकार इस प्रकार शिवजी के अनेक रूप होते है,एक शिव पांच दिशाओ में (पूर्व ,पश्चिम,उत्तर, दक्षिण, उर्ध्व)व्याप्त हो कर पंचमुखी बनते है,उन्हें तत्पुरुष, सद्योजात,वामदेव,अघोर,ईशान ऐसे पांच नाम मिले …….
इन्ही पंचवक्त्र शिवजी की शक्ति “षोडशी”!!!!!यह तीसरी महाविद्या………
अखिलेश्वरनन्दनाथ भैरव (ज्ञानेंद्रनाथ)