नेता का अर्थ और लक्षण
डॉ0 बिपिन पाण्डेय ज्योतिर्विज्ञान विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ।
नेता शब्द ‘नय’ धातु से बना है। नय का अर्थ ले चलने वाला। इसी नय से ‘नीति’ शब्द भी बना है । इसी नय शब्द से नायक बना है ‘नयनानि नीतिरुच्यते’ अर्थात जो समाज को उच्च नीति की ओर ले चले वही नेता है। भारत में संस्कृत के विद्वानों ने भी नेता शब्द की परिभाषा बताई है । उनको अनुमान रहा होगा कि आगे चलकर नेता कहे जाने वाले लोग बड़े विवादित रहेंगे। नेता कोई किसी श्रेष्ठ व्यक्ति के लिये विशेषण नही अपितु अपशब्द माना जायेगा। इसीलिए आचार्य विश्वनाथ ने स्पष्ट शब्दों में नेता शब्द की परिभाषा बताई है
“त्यागी कृती कुलीनः सुश्रीको रूप यौवनोत्साही। दक्षोऽनुरक्तलोकस्तेजोवैदग्ध्यशीलवान्नेता (साहित्यदर्पण 3.30)
त्यागी, कृतज्ञ, कुलीन, लक्ष्मीवान, रूप और यौवन से युक्त सुदर्शन स्वरूप वाला, उत्साही, कार्य करने में दक्ष, समाज के प्रति अनुरागी, स्वभाव से तेज, विदग्ध अर्थात कठोर शारीरिक श्रम द्वारा शरीर से तपा हुआ और कठोर अध्ययन अर्थात गणित तर्कशास्त्र आदि विद्दायों के अध्ययन से मन से तपा हुआ और शीलवान व्यक्ति नेता होता है
दशरूपककार ने भी नेता के गुण बताए हैं –
नेता विनीतो मधुरस्त्यागी दक्षः प्रियग्वदः,रक्तलोकः शुचिर्वाङ्मी रूढवंशः स्थिरो युवा। बुद्धि-उत्साह-स्मृति-प्रज्ञा-कला-मान-समन्वितः,शूरो दृढश्च तेजस्वी शास्त्र चक्षुष्च धार्मिक: (दशरूपक 2.1)
अर्थात नेता को विनम्र, मधुर स्वभाव वाला,त्यागी, दक्ष (कार्यकुशल), प्रिय बोलने वाला, लोकप्रिय, शरीर-मन-बुद्धि से पवित्र, बोलने में कुशल, उच्च कुल में उत्पन्न, स्थिर बुद्धि वाला, युवा,बुद्धि-उत्साह-स्मृति-प्रज्ञा -कला और स्वाभिमान से युक्त, शूरवीर, तेजस्वी और शास्त्र का ज्ञाता होना चाहिये।
इस प्रकार अगर शास्त्रीय परम्परा से देखा जाय तो नेता शब्द बहुत उत्तम गुण बोधक शब्द है। आजकल नेता शब्द गुण नही अपितु अवगुण का परिचायक हो गया है। महात्मा गाँधी ने सुभाष चन्द्र बोस से अत्यंत प्रभावित होकर उनको नेता कहा था , उस समय केवल सुभाष चन्द्र बोस को ही नेताजी कहा जाता था।