बॉलीवुडअभिनेता और नेता हैं इस्लाम विरोधी -प्रो. कुसुमलता केडिया
रामनाथी (गोवा) – अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में देश भर से सनातनी लोग अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं साथ ही अपने विचारों को भी मंच के माध्यम से देश भर में पहुंचा रहे है इसी कड़ी में करणी सेना ने अपना समर्थन सनातन संस्था को दिया और संस्थापक श्री. लोकेंद्रसिंह कालवी ने मंच से अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है, जिससे अगले 100 वर्षों तक कोई भी इतिहास को तोडमरोड न सके और पद्मावत जैसा दूसरा कोई चलचित्र पुनः न बन सके । हमें धर्मनिरपेक्ष नहीं; धर्मसापेक्ष होना होगा । हिन्दू राष्ट्र स्थापना का वर्ष 2023 निकट ही है । इन 5 वर्षों की कालावधि में क्या करना है, इसकी दिशा तय कर, इसकी स्थापना करें । इसमें हममें से प्रत्येक को सहभाग लेना होगा । हिन्दू जनजागृति समिति हम (राजपूत करणी सेना) क्या करे ?, इसका आदेश दे । हम सभी, अर्थात राजपूत करणी सेना के अधिकृत 9 लाख 94 सहस्र राजपूत कर्तव्य और धर्मकार्य के रूप में इसमें सहभागी होंगे । महाराणा प्रताप ने उस समय हिन्दू राष्ट्र का संकल्प किया था और वह संकल्प हम सब मिलकर पूर्ण करेंगे ।
वही धर्मपाल शोध पीठ, भोपाल के पूर्व निदेशक, रामेश्वर मिश्र ने भी अपने विचार रखते हुए मुखर स्वर में कहा कि यूरोप में कोई भी देश धर्मनिरपेक्ष नहीं है । प्रत्येक देश का एक स्वतंत्र धर्म है । यूरोप में धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र नहीं है, चर्च अधीन शासकों का राज्य है । वहां की न्यायव्यवस्था, शिक्षाव्यवस्था पर भी चर्च की व्यवस्था का प्रभाव है । केवल भारत ही ऐसा देश है, जो धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) लोकतंत्र है । भारत में लोकतंत्र है, यहां कोई भी स्वतंत्र शासक नहीं है । राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केवल अंग्रेजों द्वारा बनाई व्यवस्था के प्रतिनिधि हैं । लोकतंत्र को जनता का राज्य भले ही कहा जाता है, तब भी भारत के लोकतंत्र में लोगों को केवल मतदान करने का अधिकार है, राज्य करने का नहीं । संविधान के हिंदी के अधिकृत कागदपत्रों में सेक्यूलर का अर्थ धर्मनिरपेक्ष नहीं पंथनिरपेक्ष है । इसलिए पंथनिरपेक्षता हटाकर, धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी होगी । इस स्थापना के उद्देश्य से धर्मनिष्ठ हिन्दुआें को संगठित कर, भ्रष्ट एवं अत्याचारियों को दंड देने की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन प्रा. रामेश्वर मिश्र ने किया ।
उत्तर प्रदेश हिन्दू विद्या केंद्र, वाराणसी की पूर्व निदेशक प्रा. कुसुमलता केडिया ने बोलीवुड अभिनेताओं और राजनेताओं पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप लगाया उनके अनुसार सलमान खान, आमिर खान आदि कलाकार एवं दूरदर्शन पर बोलनेवाले मुसलमान नेता, छद्म मुसलमान हैं ! संगीत, नृत्य, नशा, चित्र, छायाचित्र, मूर्ति, ये सब इस्लाम में प्रतिबंधित हैं । इस्लाम में निषिद्ध माने जानेवाले कृत्य करनेवालों को शरियत कानून के अनुसार कठोर दंड मिलता है । तब भी सलमान खान, आमिर खान आदि कलाकार चलचित्रों में काम करते हैं, मुसलमान राजनीतिक नेता दूरदर्शन पर बोलते हैं ! छायाचित्र खींचना ही प्रतिबंधित है, तब यह सब तो इस्लाम का उल्लंघन ही कर रहे हैं । ऐसे लोगों को मुसलमान कैसे कह सकते हैं ? ये तो छद्म मुसलमान हैं । वे पैगंबरों की शिक्षा का उपहास कर रहे हैं । इस्लाम के नाम पर स्वेच्छाचार का लायसन्स लेकर, ये छद्म मुसलमान कार्यरत हैं । आज के मुसलमान स्वयं को कट्टरतावादी मानते हों और छोटी-छोटी बातों में इस्लाम का अनादर होने की आवाज उठाते हों; तब भी प्रत्यक्ष में यदि उन मुसलमानों की गिनती की जाए, जिन्हें शरियत में अपराध के लिए दिए जानेवाले दंड स्वीकार हैं और जो इस्लाम में प्रतिबंधित कृत्य नहीं करते, तो उनकी संख्या नगण्य है । इसलिए देश को वास्तविक खतरा, इन छद्म मुसलमानों से ही है, ऐसा प्रतिपादन प्रा. कुसुमलता केडिया ने अवैध कृत्यों का प्रमाणपत्र लिए छद्म मुसलमान हिन्दू राष्ट्र के लिए चुनौती इस विषय पर किया ।
अधिवेशन के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता इस विषय पर भोपाल (मध्यप्रदेश) की धर्मपाल शोध पीठ के प्रा. रामेश्वर मिश्र, ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, कोलकाता की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के डॉ. शिवनारायण सेन, पुणे स्थित यूथ फॉर पनून कश्मीर के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल, वाराणसी (उत्तरप्रदेश) के हिन्दू विद्या केंद्र की पूर्व निदेशक प्रा. कुसुमलता केडिया सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे । इस अधिवेशन में देश-विदेश के 150 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 350 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति के श्री. सुमीत सागवेकर ने किया ।
सुन्दर कुमार ( प्रधान संपादक )