भगवान राम पर हुई राजनीति विनाश का कारण बनेगी
गाजियाबाद -अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज ने एक प्रेस वार्ता के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम मंदिर पर सुनवाई को तीन महीने टालने पर गहन रोष जताया और सर्वोच्च न्यायालय की कार्य प्रणाली पर गम्भीर प्रश्नचिन्ह लगाए।
उन्होंने कहा की सर्वोच्च न्यायालय आज सनातन हिन्दू संस्कृति और धर्म को समाप्त करने का प्रयास करने वाले षडयंत्रकारियो की शरणस्थली बन चुका है।आज सर्वोच्च सबरीमाला,दीपावली और रामजन्म भूमि जैसे अनेक मामलो में सर्वोच्च न्यायालय धर्मनिरपेक्षता के मौलिक सिद्धांतो का हनन करता हुआ दिखाई दे रहा है।सर्वोच्च न्यायालय को अपनी गरिमा और दायित्व पर भी विचार करना चाहिये।आज आम हिन्दू का विश्वास अपने धर्म को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से उठता जा रहा है।हिन्दू जनभावनाओं की अनदेखी करके जिस तरह के निर्णय निरन्तर सर्वोच्च न्यायालय ले रहा है,उनसे हिन्दू समाज मे गहन आक्रोश है।लोकतंत्र में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका,इन तीनो का दायित्व जनता की सेवा और न्याय होता है,न की अपनी व्यक्तिगत पसन्द और नापसन्द के चलते जनता को न्याय से वंचित करना होता है।आज जब सारा देश रामजन्म भूमि मन्दिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहा है,तब सुप्रीम कोर्ट यू अपनी जिम्मेदारी को टाल कर कोई शुभ संकेत नही दे रहा है।कल सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली से सौ करोड़ हिन्दुओ की भावनाएं आहत हुई हैं।
उन्होंने इस सारे मामले में केंद्र सरकार की राम जन्मभूमि के प्रति उदासीनता पर भी गहन आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा की आज निहित स्वार्थों के लिये राम को खिलौना मात्र मानने वालों ने अपने और सारे हिन्दू समाज के विनाश को आमंत्रित किया है।जो समाज अपने भगवान का प्रयोग अपने स्वार्थों के लिये करने लगता है,वो जीवित रहने का अधिकार खो देता है।राम के नाम पर सरकार बनाने वाले राम से ऐसा विश्वासघात करेंगे, ये कल्पना भी कभी हिन्दू समाज ने नही की थी।आज हिन्दू समाज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।भारतीय जनता पार्टी सदैव अपने इन्ही कर्मो के कारण सत्ता खो कर हिन्दू समाज को दोषी ठहराती है।
बीजेपी को समझना चाहिये की जो हिन्दू समाज उन्हें अपने सर माथे पर बिठा सकता है,वो उन्हें धूल भी चटा सकता है।अपने आधारभूत साथियो की अवहेलना करके कोई भी दुनिया मे अपना अस्तित्व नही बचा सकता।
प्रेस वार्ता में यति धर्मस्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज,डॉ आर के तोमर,अनिल यादव,बृजमोहन सिंह,सतेंद्र त्यागी तथा अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
सुन्दर कुमार ( प्रधान सम्पादक )