लाचार धर्मगुरु या ईमान के पक्के मौलाना ?
सुन्दर कुमार (संपादक)-
अनुष्का शर्मा का परिवार ऋषिकेश के किन्हीं साधु के अनुयाई हैं, वो स्वयं उनके आश्रम जाती रहती है, विवाह के बाद अनुष्का अपने पति विराट कोहली को लेकर भी उनके आश्रम गई थी।
अब प्रश्न है कि साधु संगति से उनके जीवन में क्या परिणाम आया…..?
गर्भावस्था में पेट की नग्न तस्वीरें और मातृत्व जैसे दैवीय भाव को सार्वजनिक करना जबकि वो एक नामचीन अभिनेत्री हैं और समाज में उनका प्रभाव है। हिंदुओं के षोडश संस्कारों में एक संस्कार गर्भाधान…और उसकी ऐसी नुमाइश। धत् भाग्य हिंदुओं का और महाधत् भाग्य उन महात्मा गुरू का।
गुरू के लिए इसलिए लिख रहा हूँ कि एक उदाहरण आमिर खान का भी है। सुना है एक मौलाना (शायद पाकिस्तानी) के प्रभाव में आकर वो हज यात्रा पर गया और इस्लाम का ऐसा सच्चा सेवक बना कि मुसलमानों के लिए अपनी धर्म निष्ठा दिखाकर एक सार्थक नजीर बन गया।
एक मौलाना एक अभिनेता को अपने संपर्क मे करता है और उसे धर्म का सच्चा अनुयाई बना देता है, जबकि हमारे अभिनेता और अभिनेत्री (जिन्हें हमारे युवा अपना आदर्श मानते हैं और उनका प्रभाव उनके जीवन पर इस कदर हावी होता है जिसके कार्न ये नामचीन लोग जो भी करते हैं उसका अंधानुशरण ये युवा आँख बंद करके करते हैं) और किसी संत महात्मा के पास जाते हैं हिंदू नेता-अभिनेता, संत ही उनके संग तस्वीरें खिंचा लहलहालोट हो जाते हैं जबकि वो स्वयं गुरु हैं और उनके प्रभाव से वो नामी हस्ती उनकी अनुयाई बनी है, ऐसे में उस धर्म गुरु का उत्तरदायित्व बनता है कि समाज में उस व्यक्ति के प्रभाव का प्रयोग सनातन हिंदू धर्म के लिए किया जाना चाहिए। परंतु इसमे हमारे धर्म गुरु असफल हो जाते हैं या नामी हस्तियों के प्रभाव के सामने नतमस्तक महसूस करते हैं।
हमारे धर्मगुरुओं, संतों में क्यों वो सामर्थ्य नहीं बची जो जीजाबाई को गर्भावस्था में रामायण, महाभारत, उपनिषदों का अध्ययन करने को प्रेरित कर देती थी। कहाँ चूक गए हमारे धर्मगुरू, संत, महात्मा कि दीक्षा का प्रभाव भी कहीं नहीं दिख रहा…. और हां जब मैं संत, गुरू कह रहा हूँ तो यही बात मैं अपने विषय में भी कह रहा हूँ, किसी के प्रति दुराग्रह या व्यक्तिगत व्यंग्य नहीं है। इसीलिए कम से कम मुझे तो न कहें संत,गुरू,महात्मा। चूके हुए लोग हैं हम।।