21 नवंबर से वाराणसी में हिन्दू अधिवेशन’ !
वाराणसी – भारत मे स्वतंत्रता के उपरांत आज तक 100 करोड हिन्दुओं को सम्मान तथा संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं हुए । 1976 मे आपात्काल के समय भारत को ‘सेकुलर अर्थात धर्मनिरपेक्ष’ घोषित करने का षडयंत्र काँग्रेस ने रचा । वास्तविक रूप में भारत सेकुलर बना ही नहीं, और देश मे छद्म-सेकुलरवाद के नाम पर केवल अल्पसंख्य समाज का तुष्टीकरण चालू हुआ । यदि भारत में आज भी सभी नागरिकों को समान अधिकार नहीं मिल रहे हैं, तो कौनसी धर्मनिरपेक्षता का सपना हम देख रहे हैं ? भारत में हिन्दू धर्म ही विश्वकल्याण तथा बंधुता के भाव से सभी के साथ न्याय कर सकता है । इसलिए आज भारत मे सेकुलरवाद की नहीं हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति आवश्यक है । इस पृष्ठभूमि पर विगत ७ वर्षों से हिन्दू जनजागृति समिति पूरे देश में ‘हिन्दू राष्ट्र’ के विषय मे जागृति कर रही है । इस कारण सभी हिन्दू संगठनों को एकत्रित कर उन्हे संगठित रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है । उसी की आगामी दिशा निर्धारित करने हेतु हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से वाराणसी में 21 से 24 नवंबर 2018 की कालावधि में ‘मधुवन लॉन’, आशापुर, वाराणसी में ‘उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत हिन्दू अधिवेशन’ आयोजित किया गया है, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे जी ने पत्रकार परिषद में दी ।
इस पत्रकार परिषद में ‘इंडिया विथ विजडम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे ।
इस समय पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी ने कहा, ‘‘इस अधिवेशन में भारत के उत्तरप्रदेश, देहली, हरियाणा, छत्तीसगढ, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उडीसा, आसाम, अरूणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा इन 12 राज्यों सहित ‘नेपाल’ मिलाकर कुल 120 से भी अधिक हिन्दू संगठनों के 200 से भी अधिक प्रतिनिधि उपस्थितरहेंगे । अधिवेशन में मुख्यतः हिन्दुओं की सुरक्षा, मंदिर-रक्षा, संस्कृति-रक्षा, इतिहास-रक्षा, धर्म-परिवर्तन पर प्रतिबंध, कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वास आदि समस्याओं के साथ युवा-संगठन, संत-संगठन एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, इस विषय में प्रत्यक्ष कृति कार्यक्रम निश्चित किए जाएंगे ।
अधिवक्ता अधिवेशन : आज हिन्दू समाजपर होनेवाले विभिन्न संकटों के विरोध मे न्यायालय मे याचिका द्वारा कानूनी स्तर पर लडना पडता है । इसलिए हिन्दू धर्मप्रेमी अधिवक्ताओं का संगठन करने हेतु 21 नवंबर 2018 को धर्मप्रेमी अधिवक्ता अधिवेशन होगा । इस अधिवेशन में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा जिला न्यायालय के 80 अधिवक्ता उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत से उपस्थित रहेंगे ।
साधना शिविर : ‘किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने हेतु ईश्वरीय अधिष्ठान की आवश्यकता होती है । इसके लिए कालानुसार उचित साधना करना आवश्यक है । इस दृष्टि से 24 नवंबर 2018 को होनेवाले ‘हिन्दुत्वनिष्ठ साधना शिविर’ के माध्यम से हिन्दुत्वनिष्ठों के मन पर साधना का महत्त्व अंकित किया जाएगा ऐसी जानकारी सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने इस समय दी ।
इस अधिवेशन में ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, नेपाल के फोरम फॉर नेपाली मीडिया के अध्यक्ष डॉ. निरंजन ओझा, ‘रूट्स इन कश्मीर’ के श्री. सुशील पंडित, आसाम से ‘हिन्दू लीगल सेल’ के अधिवक्ता राजीवनाथ, झारखंड से ‘तरूण हिन्दू’ के संस्थापक डॉ. नील माधव दास, बंगाल से ‘अखिल भारत हिन्दू महासभा’ की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती राजश्री चौधरी, बिहार के ‘त्रिशूल सेना’ के संस्थापक महंत रविशंकर गिरिजी महाराज, छत्तीसगढ से पू. रामबालकदास जी महाराज, ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’ के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी आदि मान्यवर उपस्थित रहेंगे ।
सुन्दर कुमार ( प्रधान सम्पादक )