विद्या-महाविद्या
अरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ) निसर्ग या प्रकृति से जो ज्ञान मिलता है वह विद्या है। ज्ञान प्राप्ति के ४ मार्ग
पूरा पढेंअरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ) निसर्ग या प्रकृति से जो ज्ञान मिलता है वह विद्या है। ज्ञान प्राप्ति के ४ मार्ग
पूरा पढेंवैदिक मंत्र जप करने की चार पद्धतियाँ हैं। 1. वैखरी 2. मध्यमा 3. पश्यंती 4. परा 1. शुरु-शुरु में उच्च
पूरा पढेंअरुण कुमार उपाध्याय (धर्मज्ञ) १. आगम-सनातन साहित्य को आगम कहा गया है। आगम का एक अर्थ है आरम्भ से वर्तमान।
पूरा पढेंआज के दौर में प्रायः लोग स्वयं को असुरक्षित मानकर सदा चिन्तित रहते हैं। बच्चे घर से बाहर निकलते हैं,और
पूरा पढेंसाधना जगत में संकल्प और विनियोग के बाद बात आती है न्यास की;तत्पश्चात् ही ध्यान,पटल, कवच, स्तोत्र,हृदयादि-पाठ-जपादि का विधान है।
पूरा पढें(षडध्वशोधन की विधि) गुरु शिष्य को योग्य पाकर उसकी भूत शुद्धि (षडध्वशोधन ) करते हैं जिससे शिष्य सम्पूर्ण बंधनों से
पूरा पढेंमातङ्गी महाविद्या यह मतंग नाम के शिवजी की शक्ति है….. कमला महाविद्या यह धूमावती की प्रतिस्पर्धिनी है, धूमावती ज्येष्ठा
पूरा पढेंसब ही जीवो के (प्राणिमात्र के ) देह के अंदर से ,”अथर्वा” इस नाम का प्रानसूत्र बहता रहता है, स्थूल
पूरा पढेंविश्व मे कठिनाई के,अड़चनों के, समस्याओं के, दुखो के, मूल याने रुद्र,यम,वरुण,निर्वृत्ति यह देवता हैं, अलग अलग प्रकार के रोग,दुख,उन्माद,यह
पूरा पढेंदक्षिण अग्नि के प्रभाव से ,विश्व के सर्व ही पदार्थ क्षणोक्षणि नष्ट ही होते हैं, इसीलिए इस रुद्र को “दक्षिणामूर्ति”,
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